महामना ने मांगा था 10 रुपये से एक लाख तक का अनुदान

Sachin Samar
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महामना की जीवनी पर मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में लगी प्रदर्शनी में कई दुर्लभ दस्तावेज और इससे जुड़ी अहम जानकारियां मिल रही हैं। देशवासियों से की गई एक अपील वाले दस्तावेज में लिखा है कि विवि की स्थापना के लिए जनवरी 1936 में राज दरबार और आम लोगों के सहयोग से 1.30 करोड़ रुपये मिला जबकि उस समय भारत सरकार ने 21 लाख रुपये का अनुदान दिया था।

बीएचयू की स्थापना के लिए महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने जो कुछ भी किया है, वह अपने आप में अनमोल है। उनके छोटे बड़े प्रयासों को समय-समय पर लोग याद भी करते हैं। महामना की दूर दृष्टा का ही परिणाम है कि जिस विश्वविद्यालय की स्थापना उन्होंने की थी, उसने 100 साल से अधिक समय पूरा कर लिया है। देश, विदेश में आज भी विश्वविद्यालय के छात्र उच्च पदों पर आसीन होकर महामना के सपने को साकार करने में लगे हैं। वैसे तो स्थापना में तत्कालीन समय में राज दरबार और सरकार से अनुदान मिला, लेकिन आम लोगों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने लोगों से 10 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का अनुदान मांगा था।

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 1861 में प्रयागराज में हुआ था। विश्वविद्यालय में उनकी जयंती हर साल 25 दिसंबर को मनाई जाती है। इस बार भी पुष्प प्रदर्शनी, मालवीय दीपावली सहित कई आयोजन होंगे। स्थापना की बात करें तो 1906 में कुंभ के अवसर पर प्रयाग में मालवीय जी की मौजूदगी में सनातन धर्म महासभा के अधिवेशन में काशी में भारतीय विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। इसके बाद से ही महामना प्रयास में जुट गए। 15 जुलाई 1911 में उनके द्वारा जारी एक महत्वपूर्ण अभिलेख पर गौर करें तो उस समय स्थापना के लिए एक करोड़ रुपये की जरूरत थी। हालांकि रकम तो बड़ी थी, लेकिन महामना के एक आह्वान पर बड़ी धनराशि लोगों ने अनुदान में दी।

दस्तावेज में है जिक्र 
महामना की जीवनी पर मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में लगी प्रदर्शनी में कई दुर्लभ दस्तावेज और इससे जुड़ी अहम जानकारियां मिल रही हैं। देशवासियों से की गई एक अपील वाले दस्तावेज में लिखा है कि विवि की स्थापना के लिए जनवरी 1936 में राज दरबार और आम लोगों के सहयोग से 1.30 करोड़ रुपये मिला जबकि उस समय भारत सरकार ने 21 लाख रुपये का अनुदान दिया था। महामना ने अपने पत्र में लिखा था कि देश में किसी भी संस्था को अब तक इतनी बड़ी धनराशि नहीं मिली थी। इसी धनराशि से विश्वविद्यालय में स्थापना संबंधी कामकाज शुरू किया गया। 

एक नजर में अनुदान  के लिए पहल  
लोग    अनुदान 
20    एक लाख 
10    50 हजार 
100    10 हजार
200    5 हजार
500    2 हजार
1000    1 हजार
2000    500 रुपये
10,000    100 रुपये 
50,000    10 रुपये

सहयोग करने वाले विशिष्ट जन
लॉर्ड हार्डिंग, महाराजा दरभंगा, महाराजा बनारस, एनी बेसेंट, सर सुंदरलाल, सर एसएच बटलर

महामना जी हर समय विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर छात्रोें, शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं दिलाने की कोशिश में रहे। 1911 में हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी के गठन के साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उन्होंने जो प्रयास किए, वह अतुलनीय है। उनके सपनों को साकार करने की दिशा में सभी को प्रयास करते रहना चाहिए। स्थापना में एक आने की भी मदद करने वाले का मालवीय जी ने स्वागत किया। - जस्टिस गिरधर मालवीय, प्रपौत्र, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय


Source - amarujala

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