JaunpurSamachar : सदर अस्पताल के डॉक्टर ने फुंसी के लिए निजी मेडिकल से लेने के लिए लिखी एक हजार की दवा ।

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जौनपुर समाचार । जनपद के अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय में पांच सितारा संस्कृति यानी फाइव स्टार कल्चर के खर्च मरीजों पर थोपे जा रहे हैं । जिसके चलते सरकारी सुविधाओं पर इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है । इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब एक 14 वर्षीय किशोरी के सिर में निकली छोटी-छोटी फुंसियों जैसी सामान्य बीमारी के लिए आउटडोर बैठे एक चिकित्सक ने बाहर से खरीदने के लिए ₹1000 का नुस्खा लिख दिया ।
यह मामला तब सामने आया जब किशोरी के पत्रकार पिता ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को शिकायती पत्र लिख कर मामले पर उचित कार्रवाई का आग्रह किया। घटनाक्रम के अनुसार शहर के नईगंज निवासी पत्रकार इशरत हुसैन की 14 वर्षीया पुत्री महवीश अपने सिर में निकली फुंसियों के इलाज के लिए गत 20 जून को सरकारी सदर अस्पताल गयी। वहां उसने ओपीडी में दिखाने के लिए 14 16 12 नंबर का पर्चा बनवाया ।


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उसे कमरा नंबर बता कर भेजा गया। वहां मौजूद  चिकित्सक को अपनी समस्या बताने पर डॉ. शफीक खान ने पर्ची पर कुछ लिखने के बाद एक दूसरी छोटी पर्ची पर दवाएं लिख दी। साथ ही बताया कि अमुक मेडिकल स्टोर पर यह दवाएं मिल जाएंगी। किशोरी जब वहां दवा लेने पहुंची तो दुकानदार ने कुल कीमत ₹970 बताई। आरोप है कि बाद में एक निजी चिकित्सक के मामूली इलाज से उसे राहत मिल गई । शिकायतकर्ता का कहना  है कि सरकारी अस्पताल में बैठे डॉक्टर शफीक जिसने  निजी स्वार्थ और लाभ लेने में अपने पद का दुरुपयोग किया है, (ताकि महंगी दवाइयों पर उसे भारी कमीशन मिल सके) उस के इस कपटपूर्ण व्यवहार से उसे काफी वेदना हुई है लिहाजा उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।  जब इस संबंध में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से बातचीत की तो उन्होंने बताया डॉ शफीक़ खान संविदा पर तैनात हैं और उनको एड्स नियंत्रण इकाई का कार्यभार सौंपा गया है । इस संबंध में शिकायत मिली है और जांच कर शासन को लिखा जाएगा।

 गोरखधंधे की परतें खोलते 5 स्वाभाविक प्रश्न..

  • मरीज को मामूली फोड़े-फुंसी के इलाज के लिए एड्स नियंत्रण इकाई की कक्ष संख्या क्यों बताई गई? 
  •  यदि एड्स नियंत्रण इकाई में तैनात चिकित्सक डॉक्टर के पास अगर मरीज पहुंचा तो उन्होंने उसे सही जगह क्यों नहीं भेजा?
  •  जिला चिकित्सालय परिसर में बैठकर उन्होंने मरीज को बाहर दुकान से खरीदने के लिए दवाएं क्यों लिखी? जबकि शासन का इस पर स्पष्ट आदेश है?
  •  संबंधित डाक्टर मामूली बीमारी के लिए कीमती दवाएं लिखकर आखिर किसे लाभ पहुंचाना चाहते थे?
  •  कौन है इस गोरखधंधे के पीछे?

दबंग माना जाता है चिकित्सक, पढें..!

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