बीएचयू : हिंदी विभाग में हुआ प्रसाद व्याख्यानमाला का आयोजन

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रिपोर्ट : कुमार मंगलम रणवीर
वाराणसी । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में शुक्रवार को प्रसाद व्याख्यानमाला का आयोजन प्रो.श्री प्रकाश शुक्ल के संयोजन मे हुआ, उन्होने वक्तव्य देते हुये कहां कि प्रसाद चिर से चिरन्तन के कवि हैं । मुख्य वक्ता के रुप मे प्रो.गोपेश्वर सिंह (डी.यू)ने कई संस्मरणों को याद करते हुये सहज भाषा मे अपना विचार रखा। प्रसाद को कालिदास के शापित यक्ष माना । "ले चल मेरे  नाविक धीरे-धीरे"  जैसी कविता पलायन नहीं बल्कि प्रसाद के विद्रोह को प्रकट करता है इस बात पर उन्होंने बल दिया।प्रसाद के लिये ब्राह्मण शुक्ला जी,त्रिपाठी जी नहीं बल्कि भारत के बुद्धिजीवी हैं। प्रसाद का आदर्शवाद आनंदवाद और बुद्धिवाद का द्वंद है।अध्यक्षता सम्बोधन मे प्रो.अवधेश प्रधान ने कहा कि प्रसाद जी के कविता की यात्रा चीते की छलांग हैं।संचालन बड़े भाई जगन्नाथ दुबे ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन बहना रंजना गुप्ता ने किया। प्रो.वशिष्ठ अनुप,प्रो.नीरज खरे,के साथ-साथ अन्य प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।




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