ऑनलाइन मीटिंग में बना रोडमैप, नई पीढ़ी को मीडिया साक्षरता और अभिव्यक्ति की ताकत से जोड़ने की पहल
देशभर के जनसंचार के पूर्व छात्रों और विषय विशेषज्ञों ने एक ऑनलाइन मीटिंग आयोजित कर स्कूली शिक्षा में मास कम्युनिकेशन विषय को शामिल करने की पुरजोर मांग उठाई। प्रतिभागियों का मानना है कि आज के डिजिटल और संचार-प्रधान युग में जनसंचार केवल एक करियर विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यक जीवन-कौशल बन चुका है, जिसे छात्रों को स्कूली स्तर से ही सिखाया जाना चाहिए।
जनसंचार विषय क्यों है जरूरी?
वर्तमान में मीडिया साक्षरता की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है। आज छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन हैं और वे इंटरनेट के ज़रिए तमाम सूचनाओं तक पहुंच बना रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि छात्र यह समझ सकें कि सूचना क्या है, कौन दे रहा है, उसका उद्देश्य क्या है और उसे कैसे जांचा-परखा जाए।
इस विषय के ज़रिए छात्रों को आलोचनात्मक सोच, डिजिटल नैतिकता, फेक न्यूज़ की पहचान, और जिम्मेदार संप्रेषण की समझ दी जा सकती है। साथ ही, मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, विज्ञापन, फिल्म, और कंटेंट क्रिएशन जैसे क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों को देखते हुए छात्रों को पहले से ही इसकी बुनियादी जानकारी देना समय की मांग है।
स्कूली पाठ्यक्रम में समावेश का सुझाव
प्रतिभागियों ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में इंटरडिसिप्लिनरी और कौशल-आधारित शिक्षा पर बल दिया गया है। इस दृष्टि से जनसंचार को कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए एक वैकल्पिक या मुख्य विषय के रूप में जोड़ा जा सकता है। इससे छात्रों में संप्रेषण कौशल, विश्लेषणात्मक सोच, रचनात्मकता और डिजिटल साक्षरता का विकास होगा।
‘Communicology’ विषय शुरू करने का सुझाव
बैठक में यह प्रस्ताव भी रखा गया कि एक नया विषय 'Communicology' शुरू किया जाए, जिसमें मास कम्युनिकेशन, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, फिल्म निर्माण, पीआर और विज्ञापन जैसी विधाओं की मूल बातें पढ़ाई जाएं। यह विषय युवाओं को न सिर्फ भविष्य के मीडिया प्रोफेशनल बनने के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक और जागरूक दर्शक भी बनाएगा।
रोजगार और नई नियुक्तियों की संभावना
प्रतिभागियों ने बताया कि इस विषय को स्कूली स्तर पर लागू करने से मास कम्युनिकेशन की डिग्री धारकों के लिए शिक्षक के रूप में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। विषय को एक मुख्य शैक्षणिक इकाई के रूप में स्वीकार करने से जनसंचार क्षेत्र के पेशेवरों और अकादमिक विशेषज्ञों को विद्यालयी शिक्षा में योगदान देने का मौका मिलेगा।
राष्ट्रव्यापी अभियान की तैयारी
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर नीति-निर्माताओं को भेजी जाएगी। साथ ही, NCERT और CBSE जैसे शैक्षणिक निकायों से संवाद स्थापित करने की रणनीति बनाई जाएगी। सभी राज्यों के शिक्षा विभागों को पत्र भेजकर इसे एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।
इस पहल से उम्मीद है कि आने वाले समय में स्कूलों में जनसंचार को न सिर्फ एक विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा, बल्कि यह विद्यार्थियों के लिए आत्म-प्रकाशन, जिम्मेदार अभिव्यक्ति और सूचना के विवेकपूर्ण उपयोग का सशक्त माध्यम भी बनेगा।