जौनपुर। नगर पालिका के अधिकारियो और कर्मचारियो द्वारा बिना साफ सफाई और बिना नाली की सफाई कराये ही भेज दिया गया शासन को साफ सफाई की रिपोर्ट प्रेषित की गई वार्ड नंबर 25 मीरपुर रशीदाबाद विशेश्वरपुर पचहटिया व रामघाट मे सफाई करा दिया गया है जिसकी पोल खोलती यह वार्ड के रास्ते में पड़ी हुई गंदगी जिस से अनेक बीमारियां उत्पन्न हो रही है इसके लिए नगर पालिका जौनपुर चेयरमैन माया टण्डन व ईओ नगरपालिका से कई बार शिकायत किया गया साफ सफाई को लेकर और नालियो की सफाई को लेकर लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया गया ग्रामवासियों द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर कई बार ऑनलाइन प्रार्थना पत्र दिया गया लेकिन नगर पालिका ईओ महोदय व उनके अधिनस्य कर्मचारीगण अनिल यादव हरिश्चंद के राय मस्वरा से भेज दिया उत्तर प्रदेश सरकार को झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई की वार्ड की हर गली मोहल्ले की सफाई करा दी गयी है जिस का नजारा आप सबके सामने हैं हर गली हर वार्ड गन्दगी में तब्दील होता जा रहा है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है तो वहीं नालियाँ भी गन्दगी से बजबजा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण के पूर्व विकराल होती जा रही सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाना नगरपालिका के लिये चुनौती बना हुआ है। केन्द्र की सत्ता में काबिज होते ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता पर विशेष जोर दिया है। उनकी मंशा है कि देशवासी स्वस्थ व निरोगी रहे। लिहाजा, स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की गई। स्वच्छता अभियान के प्रचार-प्रसार पर भी लाखों-करोड़ों रुपया खर्च भी किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की तर्ज पर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा भी स्वच्छता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। प्रधानमन्त्री और मुख्यमन्त्री ने खुद भी हाथों में झाड़ू उठाकर सड़कों की सफाई की तो लगा कि देश व प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी उनके साथ खड़ी होगी, लेकिन हो नहीं सका। आलम यह है कि शहर कचराघर में तब्दील होता जा रहा है। शहर की साफ-सफाई पर हर माह लाखों रुपया खर्च होने के बाद भी जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है तो वहीं नालियाँ भी गन्दगी से बजबजा रही है। कहीं-कहीं तो सुबह से शाम कई महीने तक कचरे के ढेर लगे रहते है, जिन्हे हटाने वाला कोई नहीं है। पर महीने में एक दिन झाड़ू लगाने का सेडुल है। प्रतिदिन की बात तो अलग है शहर की अधिकांश गलियों में हफ्तों झाड़ू नहीं लगता है। शहर के न्यू सृजित वार्डो में कचरा डालने के लिये कही कही एक कण्टेनर रखा हुआ है। इसके भीतर जितना कचरा नजर आता, उससे कहीं अधिक कचरा बाहर फैला रहता है। ऐसी स्थिति अक्सर देखी जा सकती है। आने जाने वाले लोगों के अलावा आसपास के रहवासियों को भी कचरे की बदबू से परेशान होना पड़ रहा है। कई जगह पर कचरा फैला रहता है। फैले हुये कचरे को देखकर कहा जा सकता है कि कई दिनों कई महीनो से कूड़े का उठान नहीं किया गया। एक ओर जहाँ कचराघर शहर की खूबसूरती को ग्रहण लगाने का काम कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर खाली प्लॉट भी गन्दगी और बदबू को बढ़ावा दे रहे है। अगर सफाई कर्मचारियो को बताओ तो अधिकारियो के आदेश का रोना रोते है अगर सफाई अधिकारी से बात करो तो उनका एक अलग बहाना बाजी होता है प्रसाशन भी लाचार है इनके आगे।
नगर पालिका परिषद् जौनपुर द्वारा किया गया सफाई का झूठा वादा
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जौनपुर। नगर पालिका के अधिकारियो और कर्मचारियो द्वारा बिना साफ सफाई और बिना नाली की सफाई कराये ही भेज दिया गया शासन को साफ सफाई की रिपोर्ट प्रेषित की गई वार्ड नंबर 25 मीरपुर रशीदाबाद विशेश्वरपुर पचहटिया व रामघाट मे सफाई करा दिया गया है जिसकी पोल खोलती यह वार्ड के रास्ते में पड़ी हुई गंदगी जिस से अनेक बीमारियां उत्पन्न हो रही है इसके लिए नगर पालिका जौनपुर चेयरमैन माया टण्डन व ईओ नगरपालिका से कई बार शिकायत किया गया साफ सफाई को लेकर और नालियो की सफाई को लेकर लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया गया ग्रामवासियों द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर कई बार ऑनलाइन प्रार्थना पत्र दिया गया लेकिन नगर पालिका ईओ महोदय व उनके अधिनस्य कर्मचारीगण अनिल यादव हरिश्चंद के राय मस्वरा से भेज दिया उत्तर प्रदेश सरकार को झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई की वार्ड की हर गली मोहल्ले की सफाई करा दी गयी है जिस का नजारा आप सबके सामने हैं हर गली हर वार्ड गन्दगी में तब्दील होता जा रहा है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है तो वहीं नालियाँ भी गन्दगी से बजबजा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण के पूर्व विकराल होती जा रही सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाना नगरपालिका के लिये चुनौती बना हुआ है। केन्द्र की सत्ता में काबिज होते ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता पर विशेष जोर दिया है। उनकी मंशा है कि देशवासी स्वस्थ व निरोगी रहे। लिहाजा, स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की गई। स्वच्छता अभियान के प्रचार-प्रसार पर भी लाखों-करोड़ों रुपया खर्च भी किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की तर्ज पर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा भी स्वच्छता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। प्रधानमन्त्री और मुख्यमन्त्री ने खुद भी हाथों में झाड़ू उठाकर सड़कों की सफाई की तो लगा कि देश व प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी उनके साथ खड़ी होगी, लेकिन हो नहीं सका। आलम यह है कि शहर कचराघर में तब्दील होता जा रहा है। शहर की साफ-सफाई पर हर माह लाखों रुपया खर्च होने के बाद भी जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है तो वहीं नालियाँ भी गन्दगी से बजबजा रही है। कहीं-कहीं तो सुबह से शाम कई महीने तक कचरे के ढेर लगे रहते है, जिन्हे हटाने वाला कोई नहीं है। पर महीने में एक दिन झाड़ू लगाने का सेडुल है। प्रतिदिन की बात तो अलग है शहर की अधिकांश गलियों में हफ्तों झाड़ू नहीं लगता है। शहर के न्यू सृजित वार्डो में कचरा डालने के लिये कही कही एक कण्टेनर रखा हुआ है। इसके भीतर जितना कचरा नजर आता, उससे कहीं अधिक कचरा बाहर फैला रहता है। ऐसी स्थिति अक्सर देखी जा सकती है। आने जाने वाले लोगों के अलावा आसपास के रहवासियों को भी कचरे की बदबू से परेशान होना पड़ रहा है। कई जगह पर कचरा फैला रहता है। फैले हुये कचरे को देखकर कहा जा सकता है कि कई दिनों कई महीनो से कूड़े का उठान नहीं किया गया। एक ओर जहाँ कचराघर शहर की खूबसूरती को ग्रहण लगाने का काम कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर खाली प्लॉट भी गन्दगी और बदबू को बढ़ावा दे रहे है। अगर सफाई कर्मचारियो को बताओ तो अधिकारियो के आदेश का रोना रोते है अगर सफाई अधिकारी से बात करो तो उनका एक अलग बहाना बाजी होता है प्रसाशन भी लाचार है इनके आगे।
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