महिला दिवस पर । गिरवी रख दो तुम शरम को, लड़कियो बागी बनो तुम : संकल्प

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गिरवी रख दो तुम शरम को
मारो  अंतर  के  मरम  को
हां भले अनुपात जो हो
आधी आबादी बनो तुम
                   लड़कियो बागी बनो तुम

यूं उठो की थरथरा उठे
जमाने का चलन
यूं गिरो बिजली के माफिक
टूटे तिलिस्मी भवन
त्याग दो मादकता सारी
अब तो उन्मादी बनो तुम
                   लड़कियो बागी बनो तुम

छोड़ो  ये  सजना  संवरना
छोड़ो तिल तिल में बिखरना
लड़ के अपने हक को छीनो
छोड़ो कैंडिल मार्च ,धरना
छोड़ दो अब मोम बनना
हां यकीं आगी बनो तुम
                  लड़कियो बागी बनो तुम

      ( लेखक - संकल्प काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र हैं ) 
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