चुनाव आयोग ने रविवार को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी. आचार संहिता लागू होने के साथ ही राजनीतिक पार्टियां, उम्मीदवार, सत्ताधारी पार्टियां और मंत्री-प्रतिनिधियों को चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही काम करना होगा. जानते हैं आचार संहिता लागू होने के बाद देश में कौन-कौन कार्य नहीं किए जा सकेंगे...
क्या है आचार संहिता?
आदर्श आचार सहिंता राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी किए कुछ निर्देश होते हैं और हर पार्टी और उम्मीदवारों को इन नियमों को पालन करना होता है. इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर उम्मीदवारों या पार्टियों पर चुनाव आयोग की ओर से कार्रवाई की जा सकती है.
कब लागू होती है आचार संहिता?
किसी भी चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही उस क्षेत्र में आचार संहिता लागू हो जाती है और राजनीतिक पार्टियां, सत्ताधारी पार्टी, उम्मीदवार एक अधिकार क्षेत्र में रहकर ही काम कर सकते हैं. अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो यह पूरे देश में लागू होती है अन्यथा उन क्षेत्रों में आचार संहिता लागू होती है, जहां चुनाव होने हैं.
चुनाव का रिजल्ट आने तक मंत्री या कोई प्रतिनिधि ये कार्य नहीं कर सकते हैं.
-किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंजूरी या कोई घोषणा नहीं कर सकते हैं.
-लोक सेवकों को छोड़कर किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या स्कीमों की आधारशिला नहीं रख सकते हैं.
-सड़कों के निर्माण और पीने के पानी की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए वचन नहीं दे सकते हैं.
-शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी नियुक्ति नहीं हो सकती है, जिससे सत्ताधारी पार्टी के हित में कोई मतदाता प्रभावित हो.
साधारण दिशा-निर्देश
कोई भी दल या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकता है, जिससे विभिन्न जातियों और धार्मिक या अन्य समुदायों के बीच मतभेद बढ़े. सभी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार की आलोचना कार्य, नीतियों तक ही सीमित होना आवश्यक है. कोई भी पार्टी या उम्मीदवार के झंडे और नारे लिखने के लिए किसी भी निजी संपत्ति का बिना इजाजत के इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
सत्ताधारी दल के लिए दिशा-निर्देश
मंत्री अपने शासकीय दौरों को प्रचार के साथ नहीं जोड़ सकते हैं और प्रचार में शासकीय मशीनरी या कर्मचारियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. साथ ही सरकार की गाड़ियों, सरकारी वाहनों को अपने हित के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. कोई भी सत्ताधारी सार्वजनिक स्थानों का खुद ही इस्तेमाल नहीं कर सकता है, बल्कि अन्य पार्टियां भी उसका इस्तेमाल कर सकती है.
वहीं पार्टियां समाचार पत्र आदि में विज्ञापन के लिए सरकारी खर्चे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और मंत्री या प्रतिनिधि सरकारी निधि से कोई कार्य करवाने की स्वीकृति नहीं दे सकता है.
सभाओं को लेकर दिशा निर्देश
कोई भी सभा करने से पहले स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी देना आवश्यक है. इसके लिए लाउड स्पीकर, वहां कोई धारा या आदेश लागू है या नहीं इसकी जानकारी होना आवश्यक है. वहीं जुलूस के लिए भी पहले से इजाजत लेनी होगी. साथ ही इसका ध्यान रखना होगा कि वहां किसी अन्य पार्टी या उम्मीदवार का जुलूस तो नहीं है या कोई निषेधात्मक आदेश तो लागू नहीं है.
मतदान दिवस को लेकर दिशा-निर्देश
चुनाव के दिन कोई भी पार्टी या उम्मीदवार मतदाताओं को जो पहचान पर्ची देगा वह सिर्फ सफेद कागज की होनी चाहिए और इस पर चुनाव चिह्न संबंधी कोई जानकारी नहीं होनी चाहिए. मतदान केंद्र के पास लगाए बूथ पर कोई प्रचार की सामग्री ना हो और ना ही ऐसी कोई चीज दी जाए कि वहां भीड़ इकट्ठी हो ।
क्या है आचार संहिता?
आदर्श आचार सहिंता राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी किए कुछ निर्देश होते हैं और हर पार्टी और उम्मीदवारों को इन नियमों को पालन करना होता है. इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर उम्मीदवारों या पार्टियों पर चुनाव आयोग की ओर से कार्रवाई की जा सकती है.
कब लागू होती है आचार संहिता?
किसी भी चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही उस क्षेत्र में आचार संहिता लागू हो जाती है और राजनीतिक पार्टियां, सत्ताधारी पार्टी, उम्मीदवार एक अधिकार क्षेत्र में रहकर ही काम कर सकते हैं. अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो यह पूरे देश में लागू होती है अन्यथा उन क्षेत्रों में आचार संहिता लागू होती है, जहां चुनाव होने हैं.
चुनाव का रिजल्ट आने तक मंत्री या कोई प्रतिनिधि ये कार्य नहीं कर सकते हैं.
-किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंजूरी या कोई घोषणा नहीं कर सकते हैं.
-लोक सेवकों को छोड़कर किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या स्कीमों की आधारशिला नहीं रख सकते हैं.
-सड़कों के निर्माण और पीने के पानी की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए वचन नहीं दे सकते हैं.
-शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी नियुक्ति नहीं हो सकती है, जिससे सत्ताधारी पार्टी के हित में कोई मतदाता प्रभावित हो.
साधारण दिशा-निर्देश
कोई भी दल या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकता है, जिससे विभिन्न जातियों और धार्मिक या अन्य समुदायों के बीच मतभेद बढ़े. सभी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार की आलोचना कार्य, नीतियों तक ही सीमित होना आवश्यक है. कोई भी पार्टी या उम्मीदवार के झंडे और नारे लिखने के लिए किसी भी निजी संपत्ति का बिना इजाजत के इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
सत्ताधारी दल के लिए दिशा-निर्देश
मंत्री अपने शासकीय दौरों को प्रचार के साथ नहीं जोड़ सकते हैं और प्रचार में शासकीय मशीनरी या कर्मचारियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. साथ ही सरकार की गाड़ियों, सरकारी वाहनों को अपने हित के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. कोई भी सत्ताधारी सार्वजनिक स्थानों का खुद ही इस्तेमाल नहीं कर सकता है, बल्कि अन्य पार्टियां भी उसका इस्तेमाल कर सकती है.
वहीं पार्टियां समाचार पत्र आदि में विज्ञापन के लिए सरकारी खर्चे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और मंत्री या प्रतिनिधि सरकारी निधि से कोई कार्य करवाने की स्वीकृति नहीं दे सकता है.
सभाओं को लेकर दिशा निर्देश
कोई भी सभा करने से पहले स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी देना आवश्यक है. इसके लिए लाउड स्पीकर, वहां कोई धारा या आदेश लागू है या नहीं इसकी जानकारी होना आवश्यक है. वहीं जुलूस के लिए भी पहले से इजाजत लेनी होगी. साथ ही इसका ध्यान रखना होगा कि वहां किसी अन्य पार्टी या उम्मीदवार का जुलूस तो नहीं है या कोई निषेधात्मक आदेश तो लागू नहीं है.
मतदान दिवस को लेकर दिशा-निर्देश
चुनाव के दिन कोई भी पार्टी या उम्मीदवार मतदाताओं को जो पहचान पर्ची देगा वह सिर्फ सफेद कागज की होनी चाहिए और इस पर चुनाव चिह्न संबंधी कोई जानकारी नहीं होनी चाहिए. मतदान केंद्र के पास लगाए बूथ पर कोई प्रचार की सामग्री ना हो और ना ही ऐसी कोई चीज दी जाए कि वहां भीड़ इकट्ठी हो ।
स्रोत : आजतक