Poetry : माफ किया था हर बार तुझे, फिर भी जख्म दिया तूने.., शिशिर यादव

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माफ किया था हर बार तुझे, फिर भी जख्म दिया तूने
घात लगा कायर तूने फिर से चोट किया गहरा
दिल को दहला दी फिर से तूने
अपने पापी करतूतों से
फिर से रार किया तूने, फिर से जख्म दिया तूने

निहत्थे वीर सपूतों पर फिर से वार किया तूने
तोड़ी तुमने सारी हद मानवता की
बन दानव इस धरती का
राक्षस तू है इस धरती का, 
धर्म का चोला पहने कैसा 
धर्म नही है कोई तेरा दुश्मन है तू हर मानव का
फिर से रार किया तूने, फिर से जख्म दिया तूने

बूढी माँ की गोद को सूना कर 
खून के आँसू रुलाये तूने
हाय अनाथ कर दिया रे तूने शहीद वीर सपूतों के वीवी बच्चों को

बहे लहू के हर कतरे-कतरे को इंसाफ दिलाना होगा अब
पापी काफूरो को उनके ही घर मे घुस कर मौत दिखाना होगा अब 
खून के आंशू रोओगे तुम सब काफूरो किये पाप पर अपने तुम पछताओगे
सर्जिकल स्ट्राईक तो बस एक ट्रेलर था 
फिल्म तो पूरी देखेगा अब तू
मौत का बवंडर तेरे खातिर तेरे ही घर में लाएंगे

जो रार करी है फिर से तूने, 
ओ रार निभाएंगे हम तुमसे

तेरे खातिर रार सही अब,
तेरे खातिर वार सही अब 
तेरे खातिर रार सही अब,
तेरे खातिर वार सही अब
लेखक - शिशिर यादव 



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