पुलवामा। भारत अब ट्यूलिप फूलों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो चुका है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के तहत कार्यरत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (CSIR-IIIM), जम्मू द्वारा दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले स्थित बोनेरा फील्ड स्टेशन पर ट्यूलिप बल्ब उत्पादन को स्वदेशी बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री विकसित भारत@2047 और आत्मनिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप, इस पहल का उद्देश्य ट्यूलिप बल्बों के आयात को कम कर देश को स्वयं-निर्भर बनाना है। वर्ष 2022 में केवल 10,000 बल्बों से शुरू हुई यह परियोजना आज एक लाख से अधिक बल्बों के उत्पादन तक पहुंच चुकी है। इस बार ट्यूलिप की खेती 12 कनाल से अधिक क्षेत्र में की गई है।
डॉ. ज़बीर अहमद, निदेशक, CSIR-IIIM, जम्मू ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इस समय बोनेरा फील्ड स्टेशन पर आठ प्रकार की ट्यूलिप किस्मों पर अनुसंधान किया जा रहा है। इसके तहत ट्यूलिप की मॉर्फोलॉजिकल विशेषताओं, जैविक और अजैविक दबावों के प्रति प्रतिरोध, और खेती के लिए वैज्ञानिक तकनीकी मानक विकसित किए जा रहे हैं।
यह पहल CSIR के फ्लोरीकल्चर मिशन का हिस्सा है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री तैयार करने, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फूलों की खेती बढ़ाने, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन, मधुमक्खी पालन से एकीकरण, विपणन संपर्क स्थापित करने जैसे अनेक आयाम शामिल हैं।
ट्यूलिप गार्डन कम एक्सपेरिमेंटल फील्ड को हाल ही में जनता के लिए खोला गया, जिसने घाटी के विभिन्न हिस्सों से हजारों पर्यटकों को आकर्षित किया। यह पहल न केवल जम्मू-कश्मीर को ट्यूलिप उत्पादन का केंद्र बनाने की ओर कदम है, बल्कि फूलों की खेती और पर्यटन के माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सहायक सिद्ध होगी।
इस परियोजना से भविष्य में भारत को ट्यूलिप बल्बों के आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, और स्थानीय किसानों के लिए रोजगार और आय के नए द्वार खुलेंगे। यह वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है।