Loksabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को होने में बस कुछ ही महीन शेष रह गए हैं। ऐसे में सबकी नजर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई है। दरअसल, यहां पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर इन दिनों कुछ तल्खी चल रही है। वैसे तो सपा और कांग्रेस दोनों दल गठबंधन की एक ही टेबल पर बैठे दिखाई दे रहे हैं। अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 11 सीट देने का ऐलान भी कर दिया हैं। लेकिन कांग्रेस इससे खुश नहीं दिखाई दे रही है।
हालांकि, मामले को कूल करने के लिए दोनों पार्टी के नेताओं में अब तक चार राउंड की बातचीत भी हो गई है। लेकिन इसके बाद भी सीटों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों दलों के बीच में सहमति न बन पाने के पीछे की 3 वजह बताई जा रही है। इस आर्टिकल में उन 3 वजहों के बारे में सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है। जो दोनों दलों के बीच रोड़ा बना हुआ है। तो चलिए शुरु करते हैं..
कांग्रेस 20 सीटों पर लड़ना चाहती है चुनाव
1. सपा और कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक सहमति न बन पाने के पीछे की पहली वजह ये है कि कांग्रेस 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन समाजवादी पार्टी इतनी सीट देने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस ने 20 सीटों की लिस्ट सपा प्रमुख के पास भेजी थी। बावजूद इसके अखिलेश यादव ने सिर्फ 11 सीट ही कांग्रेस को देने का ऐलान किया। लेकिन सपा के इस फैसले से कांग्रेस अड़ गई है।
2. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच पेंच फंसने की दूसरी वजह ये है कि कांग्रेस जिस सीट को अपने पाले में लेना चाह रही है। उनमें से कई सीटों पर अखिलेश यादव ने तेजी दिखाते हुए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। सपा के इस फैसले से कांग्रेस और ज्यादा भड़क गई है। हालांकि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं में बातचीत का सिलसिला अभी चल रहा है। अब देखना होगा की सहमति कब तक बन पाती है।
3. इसमें तीसरी वजह ये भी बताई जा रही है कि कांग्रेस के कुछ नेता इससे पहले मायावती से भी गठबंधन को लेकर बातचीत कर रहे थे। लेकिन मायावती ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के प्रपोजल को ठुकरा दिया। जब कांग्रेस के इस चाल की जानकारी अखिलेश यादव को पता चली तो वे भी अपना तेवर दिखाते हुए कांग्रेस के प्रति कड़ा रुख अख्तियार किया और कांग्रेस के मन मुताबिक सीट न देने का फैसला किया।
अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश का लिया बदला
वहीं, सियासी जानकार अखिलेश यादव के इस फैसले को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। बताते चलें कि एमपी में कांग्रेस के साथ मिलकर सपा चुनाव लड़ना चाहती थी। इसको लेकर दोनों दलों के शीर्ष नेताओं में कई राउंड बात भी हुई। लेकिन कांग्रेस उस दौरान अखिलेश यादव से सीट बंटवारे पर बातचीत करती रही और पीछले दरवाजे अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया था। इसके बाद अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। इस मामले में कांग्रेस भी पीछे नहीं थी। दोनों दलों के बीच जुबानी जंग खूब देखने को मिली थी।
अब इसको लेकर सियासी पंडितों का कहना है कि अखिलेश यादव ने कांग्रेस से मध्य प्रदेश चुनाव का बदला लिया है। इसलिए कांग्रेस से सीटों पर बातचीत का सिलसिला चलता रहा, उधर अखिलेश यादव ने 16 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया हालांकि, इसको लेकर दोनों पार्टियों के बीच अंदर खाने सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। बता दें कि यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। समाजवादी पार्टी यूपी में कम से 50 से 55 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। अभी तक सपा ने कांग्रेस को 11 सीट और जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी को 7 सीटें देने की घोषणा की थी।
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