इस बार रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया, लेकिन कई शुभ योग भी; जानिए राखी बांधने का सही समय..!!

Sachin Samar
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हर साल रक्षाबंधन का पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व में बहनें भाई को राखी बांधकर लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई बहनों को रक्षा का वचन देते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन का पावन त्योहार 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. 


रक्षाबंधन इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. 11 अगस्त को प्रातः सूर्योदय के साथ चतुर्दशी तिथि रहेगी तथा 10:58 से पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी. पूर्णिमा तिथि  के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जो कि रात्रि 8:50 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है तथा इस दिन भद्रा का काल रात्रि 8:50 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा.


ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार भद्रा का निवास पृथ्वी लोक में नहीं होकर पाताल लोक में है. अतः भूलोक पर इसका इतना प्रभाव नहीं रहेगा. रक्षाबंधन पर घटित होने वाली भद्रा वृश्चिकी भद्रा है. सर्पिणी भद्रा नहीं होने से इसके मुंख में रक्षाबंधन मनाया जा सकता है क्योंकि बिच्छू के पुंछ में विष होता है. अतः वृश्चिकी भद्रा की पूछ त्याज्य है. यद्यपि  शास्त्रानुसार 11 अगस्त को रात्रि 8:50 के बाद भद्रोत्तरम ( भद्रा के उपरांत) राखी बांधी जाना अधिक उपयुक्त है. परंतु आवश्यक परिस्थिति में सायं 6:08 से रात्रि 8:00 बजे तक भद्रा मुख में राखी बांधी जा सकती है.भद्रा रात 8.50 बजे खत्म होगी. इसके बाद ही रक्षा सूत्र बांधना चाहिए. इस दिन रात में 8.50 बजे से 9.55 बजे तक चर का चौघड़िया रहेगा. इस समय में रक्षा सूत्र बांधना ज्यादा शुभ रहेगा.


रक्षा बंधन पर ग्रहों की स्थिति:


कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रक्षा बंधन पर गुरु मीन राशि में वक्री रहेगा. चंद्र शनि के साथ मकर राशि में रहेगा. इन ग्रहों की युति से विष योग बनता है. गुरु की दृष्टि सूर्य पर रहेगी, सूर्य की शनि पर एवं शनि की गुरु पर दृष्टि रहेगी. ग्रहों के इन योगों में हमें अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए. छोटी सी लापरवाही भी नुकसान करा सकती है.


सावन पूर्णिमा पर शुभ काम:


कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को नए कपड़ों का, जूते-चप्पल, छाते का दान करना चाहिए. मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें. किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दान करें. सुबह सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. हनुमान जी के सामने धूप-दीप जलाएं, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या हनुमान जी मंत्रों का जप करें. शिव जी का जल और दूध से अभिषेक करें


रक्षाबंधन तिथि:-


पूर्णिमा तिथि आरंभ- 11 अगस्त, सुबह 10:58 मिनट से 

पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 12 अगस्त. सुबह 7:05 मिनट पर

रक्षाबंधन भद्रा काल का समय:-  

रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल की समाप्ति- रात 08:51 मिनट पर 

रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त को शाम 05:17 मिनट से 06:18 मिनट तक


रक्षाबंधन भद्रा मुख- शाम 06:08 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक


रक्षाबंधन पर शुभ योग:- 

आयुष्मान योग- 10 अगस्त को शाम 7.35 से 11 अगस्त को दोपहर 3.31 तक

रवि योग- 11 अगस्त को सुबह 5.30 से 6.53 तक

शोभन योग- 11 अगस्त को 3.32 से 12 अगस्त को 11.33 तक 


अटूट रिश्ते का इतिहास:-

 

भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार शिशुपाल राजा का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ से खून बहने लगा तो द्रोपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ की अंगुली पर बांध दिया. कहा जाता है कि तभी से भगवान कृष्ण द्रोपदी को अपनी बहन मानने लगे और सालों के बाद जब पांडवों ने द्रोपदी को जुए में हरा दिया और भरी सभा में जब दुशासन द्रोपदी का चीरहरण करने लगा तो भगवान कृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए उसकी लाज बचाई थी. मान्यता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा जो आज भी बदस्तूर जारी है. श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण की बहन ने भद्रा में उसे रक्षा सूत्र बांधा था जिससे रावण का सर्वनाश हो गया था


राखी बांधने की पूजा विधि:-

 

कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को इस तरह राखी बांधें. सबसे पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली कुमकुम अक्षत पीली सरसों के बीज दीपक और राखी रखें. इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें. फिर भाई को मिठाई खिलाएं. अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें. अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्पर्श करना चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं 

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