बलिया। 1942 के आंदोलन के 80 वें वर्ष में संकल्प ने 80 कलाकारों के साथ 80 मिनट की नाट्य प्रस्तुति कर बलिया के रंगमंच पर एक नया इतिहास लिख दिया। संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा बलिया बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर 18 अगस्त को "क्रांति 1942@बलिया" नाटक की ऐतिहासिक प्रस्तुति क्रांति भूमि बलिया के उसी बापू भवन में हुई, जहां 1942 में आजादी की पहली घोषणा हुई थी। दर्शकों से खचाखच भरे बापू भवन में सैकड़ों लोगों ने खड़े होकर प्रस्तुति को देखा और खुले मन से संकल्प के इस प्रयास की सराहना की। लगभग डेढ़ घंटे की इस नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को झकझोर कर रख दिया।
कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से 1942 के बलिया को मंच पर जीवंत कर दिया। कलाकारों के अभिनय का जादू दर्शकों पर इस कदर हावी हो गया कि कलाकारों के साथ दर्शक भी भारत माता की जय और अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा लगाने लगे। नाटक में कुछ पल ऐसे आए कि लोग अपने आंखों को नम होने से नहीं रोक पाए। विविशेष रूप से बैरिया में कौशल कुमार सहित 21 लोगों के शहादत का दृश्य और बलिया गुदरी बाजार में 9 लोगों के शहादत के दृश्य ने दर्शकों को रूला दिया।