वह सभी विधायकों के साथ सूरत गुजरात के एक होटल में ठहरे हुए थे महाराष्ट्र के वर्तमान सरकार के खिलाफ जा कर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन देने का फैसला किया। जिसके बाद एक बार फिर महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल पुथल शुरू हो गया। कुल मिला कर 37 विधायकों ने एकनाथ शिंदे के साथ आने का फैसला किया जिसके बाद शिव सेना के निर्वाचित विधायकों की संख्या में से 37 विधायक ने शिव सेना से अपना हाथ खींच लिया उन्होंने महाराष्ट्र के गवर्नर को लेटर लिख कर कहा कि "हम एकनाथ शिंदे को लीडर के तौर पर देखते हैं ना कि उद्धव ठाकरे को"।
अगर हम देखें तो एकनाथ शिंदे ने अपना एक अलग समूह तैयार किया। महा विकास अघाड़ी पार्टी में कुल 175 विधायक थे जिनमें से एकनाथ सिंदे समेत 37 विधायकों ने शिव सेना को अलविदा कह दिया जिस वजह से महा विकास अघाड़ी पार्टी में विधायकों की संख्या अब 138 पहुँच गई चुकी सरकार में बने रहने के लिए यह आंकड़ा 145 से कम नही होना चाहिए यही कारण है कि महाराष्ट्र के महा विकास अघाड़ी पार्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसमें शिव सेना, एनसीपी, कांग्रेस एवं अन्य के साथ मिलकर बनी यह सरकार गिर गई।
इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने अपने सभी विधायकों के साथ अपना समर्थन एनसीपी और कांग्रेस के गंठबंधन में बनी महा विकास अघाड़ी पार्टी से वापस ले लिया। अगर बात की जाए एकनाथ शिंदे की तो उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ वही किया जो उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाला साहेब ठाकरे के साथ उनकी मिर्त्यु के बाद कांग्रेस को अपना समर्थन दे कर किया। बाला साहेब ठाकरे ने अपने कई इंटरव्यू में कहा है कि शिव सेना उनके मरने के बाद दूसरी कांग्रेस बनेगी और उद्धव ठाकरे ने वही किया। शिव सेना में मौजूद अधिकतर विधायक बाला साहेब की विचारधारा को मानने वालें हैं। बाला साहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद लोग उद्धव ठाकरे से भी वही अपेछा रखते हैं।
शिव सेना को छोड़ कर एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी जारी थी कुछ शिव सेना से तो कुछ अन्य पार्टियों के विधायकों ने एकनाथ शिंदे पर अपना भरोसा जताया जिसके परिणाम स्वरूप महाराष्ट्र में एक बड़े राजनीतिक महाभारत के बाद भारतीय जनता पार्टी ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली है। इस पूरे राजनीतिक उथल पुथल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री के पद पर आ गए वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ सिंदे को बनाया गया।