राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर रात 12 बजे के बाद से जम्मू-कश्मीर राज्य को औपचारिक रूप से दो नए केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित किया गया हैं। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुये जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटा दिया था। संसद के दोनों सदनों ने 6 अगस्त को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पारित किया था। 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर में संसद से पारित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 लागू हो गया है। बता दे कि संसद के दोनों सदनों से जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पारित हो चुका है और राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर कर दिया था। अब विधेयक अधिनियम बन चुका है।
सरकार ने सरदार वलम्भभाई पटेल के जयंती (31 अक्टूबर) पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये जम्मू-कश्मीर राज्य को दो नए केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित करने का निर्णय लिया था। आज से जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेश होंगे। आज से जम्मू कश्मीर राज्य में कई पुराने कानून खत्म हो जाएंगे तो कई नए कानून केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लागू होंगे। गवर्नर एक्ट सहित जम्मू-कश्मीर में राज्य के 166 एक्ट और 106 केंद्रीय कानून प्रभावी हो जाएंगे। राज्य के 153 कानून भी खत्म हो जाएंगे।
जम्मू कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा वहीं लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई हैं। लद्दाख में विधानसभा नहीं होने के वजह से उप-राज्यपाल के जरिए सीधे केंद्र सरकार से अधीशासित होगा।
केंद्र सरकार ने जी.सी. मुर्मू को जम्मू कश्मीर और लद्दाख में राधा कृष्ण माथुर को उप-राज्यपाल नियुक्त किया है। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को गोआ का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। अब संसद से पारित सभी कानून दोनों केंद्र शासित प्रदेश में लागू होंगे,पहले अनुच्छेद 370 होने के वजह से कानून जम्मू कश्मीर में नहीं लागू होते थे।
जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल से घटाकर 5 साल होगा।लोकसभा में जम्मू कश्मीर से पांच सांसद होंगे,जबकि लद्दाख में दो होंगे।भारत में अभी तक ऐसे 7 राज्य है जिन्हें उच्च सदन 'विधानपरिषद' हासिल हैं। जम्मू कश्मीर भी विधानपरिषद का एक सदस्यों में से था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 लागू हो जाने के बाद से अब जम्मू कश्मीर विधानपरिषद का सदस्य नहीं रहा। केवल 6 राज्य है जिनके पास उच्च सदन 'विधानपरिषद' हैं।
अन्य प्रमुख बदलाव जो आज से जम्मू कश्मीर और लद्दाख में प्रभावी होंगे।
1.सूचना का अधिकार
2.शिक्षा का अधिकार
3.RPC के जगह IPC लागू होंगे
4.उर्दू के जगह हिंदी,अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं होंगी
5.राज्यपाल के जगह लेफ्टिनेंट गवर्नर होंगे
6.कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन
7.विधानसभा से पारित विधेयक पर अंतिम फैसला उपराज्यपाल के पास होगा
8.जम्मू कश्मीर नागरिकों के पास पहले दोहरी नागरिकता (जम्मू कश्मीर,भारत) हुआ करती थी आज से कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो गयी है
9.370 हटने से पहले सिर्फ जम्मू कश्मीर के नागरिक ही राज्य में जमीन खरीद सकते थे। लेकिन अब राज्य से बाहर का कोई व्यक्ति केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीद सकता हैं।
10.पाकिस्तानी अब जम्मू कश्मीर व लद्दाख के महिलाओं से विवाह करके भारत की नागरिकता नहीं पा सकेंगे
सरकार ने सरदार वलम्भभाई पटेल के जयंती (31 अक्टूबर) पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये जम्मू-कश्मीर राज्य को दो नए केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित करने का निर्णय लिया था। आज से जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेश होंगे। आज से जम्मू कश्मीर राज्य में कई पुराने कानून खत्म हो जाएंगे तो कई नए कानून केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लागू होंगे। गवर्नर एक्ट सहित जम्मू-कश्मीर में राज्य के 166 एक्ट और 106 केंद्रीय कानून प्रभावी हो जाएंगे। राज्य के 153 कानून भी खत्म हो जाएंगे।
जम्मू कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा वहीं लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई हैं। लद्दाख में विधानसभा नहीं होने के वजह से उप-राज्यपाल के जरिए सीधे केंद्र सरकार से अधीशासित होगा।
केंद्र सरकार ने जी.सी. मुर्मू को जम्मू कश्मीर और लद्दाख में राधा कृष्ण माथुर को उप-राज्यपाल नियुक्त किया है। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक को गोआ का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। अब संसद से पारित सभी कानून दोनों केंद्र शासित प्रदेश में लागू होंगे,पहले अनुच्छेद 370 होने के वजह से कानून जम्मू कश्मीर में नहीं लागू होते थे।
जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल से घटाकर 5 साल होगा।लोकसभा में जम्मू कश्मीर से पांच सांसद होंगे,जबकि लद्दाख में दो होंगे।भारत में अभी तक ऐसे 7 राज्य है जिन्हें उच्च सदन 'विधानपरिषद' हासिल हैं। जम्मू कश्मीर भी विधानपरिषद का एक सदस्यों में से था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 लागू हो जाने के बाद से अब जम्मू कश्मीर विधानपरिषद का सदस्य नहीं रहा। केवल 6 राज्य है जिनके पास उच्च सदन 'विधानपरिषद' हैं।
अन्य प्रमुख बदलाव जो आज से जम्मू कश्मीर और लद्दाख में प्रभावी होंगे।
1.सूचना का अधिकार
2.शिक्षा का अधिकार
3.RPC के जगह IPC लागू होंगे
4.उर्दू के जगह हिंदी,अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं होंगी
5.राज्यपाल के जगह लेफ्टिनेंट गवर्नर होंगे
6.कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन
7.विधानसभा से पारित विधेयक पर अंतिम फैसला उपराज्यपाल के पास होगा
8.जम्मू कश्मीर नागरिकों के पास पहले दोहरी नागरिकता (जम्मू कश्मीर,भारत) हुआ करती थी आज से कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो गयी है
9.370 हटने से पहले सिर्फ जम्मू कश्मीर के नागरिक ही राज्य में जमीन खरीद सकते थे। लेकिन अब राज्य से बाहर का कोई व्यक्ति केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीद सकता हैं।
10.पाकिस्तानी अब जम्मू कश्मीर व लद्दाख के महिलाओं से विवाह करके भारत की नागरिकता नहीं पा सकेंगे