तो तीसरे न● वाली यूनिवर्सीटी बी●एच●यू● में केंद्रीय कार्यालय के एक कर्मचारी द्वारा छात्रा (बी●एस●सी● तृतीय वर्ष) से किया गया एक मानसिक उत्पीडन का मामला सामने आया ।
गुरूवार 11 अप्रैल 2019 को केन्द्रीय कार्यालय में ऐकेडमिक सेक्शन में कार्यरत एक कर्मचारी ने विज्ञान संकाय तृतीय वर्ष की छात्रा से अभद्रतापुर्वक व्यहवार किया । कर्मचारी नें छात्रा और उसके पिता को अपशब्द कहे, और बिना किसी वजह कडे शब्दों फटकार लगाई, छात्रा वहाँ रोती रही परन्तु बिना किसी बात की परवाह किए छात्रा द्वारा लाए गए प्रार्थना पत्र को नष्ट कर देने की धमकी देता रहा , और बार-बार छात्रा के पीछे हटने पर भी कर्मचारी उसके समीप आता गया और जब छात्रा ने जोर-जोर से रोना शुरु किया तब कर्मचारी ने कहा - आगे कि क्या प्रक्रिया है वो मैं तुम्हे नही बताउँगा । चली जाओ यहाँ से ! दुबारा यहाँ कदम मत रखना नही तो बहुत बुरा होगा !
आज पीडिता ये छात्र है ! कल आपकी बहन हो सकती है या आपकी कोई महिला मित्र ! मैं पुछता हुँ कि क्या ये है महामना की आदर्श बगिया है ?? ऐसे अपराध ऐडमिनिस्ट्रेशन के लोगों द्वारा किया जा रहा है और आपसभी नपुंसक के भांती हाँथ पथ हाँथ धरे बैठे हैं ।
क्या सबको इंसाफ दिलाने का जिम्मा सिर्फ Gaurav भईया ने उठा रखा था । खुन ठंडा पड गया अपनी सीमाओं (औकात) का उचित ज्ञान हो गया ???
कहीं से तो शुरूआत करना ही होगा ! आप सब समझ रहे हैं हम क्या कह रहे हैं !
बीएचयू के छात्र विपिन द्वारा लिखित
गुरूवार 11 अप्रैल 2019 को केन्द्रीय कार्यालय में ऐकेडमिक सेक्शन में कार्यरत एक कर्मचारी ने विज्ञान संकाय तृतीय वर्ष की छात्रा से अभद्रतापुर्वक व्यहवार किया । कर्मचारी नें छात्रा और उसके पिता को अपशब्द कहे, और बिना किसी वजह कडे शब्दों फटकार लगाई, छात्रा वहाँ रोती रही परन्तु बिना किसी बात की परवाह किए छात्रा द्वारा लाए गए प्रार्थना पत्र को नष्ट कर देने की धमकी देता रहा , और बार-बार छात्रा के पीछे हटने पर भी कर्मचारी उसके समीप आता गया और जब छात्रा ने जोर-जोर से रोना शुरु किया तब कर्मचारी ने कहा - आगे कि क्या प्रक्रिया है वो मैं तुम्हे नही बताउँगा । चली जाओ यहाँ से ! दुबारा यहाँ कदम मत रखना नही तो बहुत बुरा होगा !
आज पीडिता ये छात्र है ! कल आपकी बहन हो सकती है या आपकी कोई महिला मित्र ! मैं पुछता हुँ कि क्या ये है महामना की आदर्श बगिया है ?? ऐसे अपराध ऐडमिनिस्ट्रेशन के लोगों द्वारा किया जा रहा है और आपसभी नपुंसक के भांती हाँथ पथ हाँथ धरे बैठे हैं ।
क्या सबको इंसाफ दिलाने का जिम्मा सिर्फ Gaurav भईया ने उठा रखा था । खुन ठंडा पड गया अपनी सीमाओं (औकात) का उचित ज्ञान हो गया ???
कहीं से तो शुरूआत करना ही होगा ! आप सब समझ रहे हैं हम क्या कह रहे हैं !
बीएचयू के छात्र विपिन द्वारा लिखित