“बेटी"
लेइके कोखिया मा तोहरे अवतार माई हो!
रुपवा तोहरा दूसर धै करबै उजियार माई हो!
तोहरे जइसे नाहीं समैया, दुबकी रहबै घर मा
मोरे लेखे काम न अइसन, करी न जे छनभर मा.
पालि-पोसि कोखिया मा करऽ तैयार माई हो!
रुपवा तोहरा.....
बेटी के बचइबू तऽ न लागे तोहँके पाप हो,
पढ़ि-लिखि बेटी बढ़िहैं त फल मिलिहैं जइसे जाप हो.
कोखिया पबित्तर होइ जाये, दऽ पियार माई हो. रुपवा तोहरा......
हमहीं घर क हईं लच्छिमी, हमसे सब कर नाता बा.
ईऽ हम ना बनलीं हे माई, बनए भागिबिधाता बा.
जिनि मिटाव रिश्ता अउ न करऽ, तार-तार माई हो. रुपवा.......
सोचिया आपन काहें घटइलू, हमरे ऊपर शंका बा.
बेटा संग बेटी कऽ भी, चहुँओरी बाजत डंका बा.
हमहीं रणचण्डी काली दुर्गा अवतार माई हो!
रुपवा.........
-डॉ. आलोक कुमार मिश्र
प्रा.स. स.सं.वि.वि. वाराणसी