आम चुनावों से पहले विश्वविद्यालयों के आरक्षण रोस्टर को मुद्दा बनाकर उसे सियासी रंग देने में जुटे राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट के सरकार के 13 पॉइंट रोस्टर सिस्टम से संबंधी पुनर्विचार याचिका खारिज कर देने के बाद संघर्ष का बिगुल बजा दिया है . ५ मार्च को बुलाया गया भारत बंद उनके मुद्दा गर्माने के रणनीति का हिस्सा है. हालाँकि देश में इने गिने जगहों को छोड़ यह बंद लगभग असफल रहा इलाहबाद हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए 13 पॉइंट रोस्टर के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो बार मुहर लगाने के बाद एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग में भारी रोष है. सोशल मीडिया के माध्यम से एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के युवाओं द्वारा इस के विरोध में पोस्ट, कमेंट्स और फोटोज वायरल किए जा रहे हैं. यहां तक कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के सांसद और विधायकों से भी सवाल पूछे जा रहे हैं. इसी बीच खबर यह है कि केंद्र सरकार यथावत व्यवस्था रखने के लिए शीघ्र ही अध्यादेश लाएगी
विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु सुप्रीमकोर्ट के 13 प्वाइंट रोस्टर के फैसले को पलटने से जब शीर्ष कोर्ट ने मना कर दिया तो कुछ विपक्षी दलों की ओर से केंद्र सरकार को कठघरे में घेरने की कोशिश शुरू हो गई ।माना जारहा है कि इस रोस्टर से दलितों और पिछड़ों को मिलने वाला लाभ सीमित हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 200 प्वाइंट रोस्टर पर मानव संसाधन मंत्रालय (MHRD) और UGC द्वारा दायर स्पेशल लीव पिटीशन को 22 जनवरी को खारिज कर दिया था. इससे ये साफ़ हो गया है कि 5 मार्च 2018 को जारी 13 पॉइंट रोस्टर अब सभी यूनिवर्सिटी में लागू हो गया है अप्रैल 2014 से रुकी हुई नियुक्तियां अब इसी आधार पर होंगी.
क्या है 13 पॉइंट रोस्टर ?
अभी तक यूनिवर्सिटी या कॉलेज की नौकरियों के लिए यूनिवर्सिटी या कॉलेज को ही एक इकाई माना जाता था. साथ ही इन भर्तियों के लिए 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम की व्यवस्था थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि रिज़र्वेशन अब डिपार्टमेंट के आधार पर लागू किया जाए. इसके लिए 13 प्वाइंट का रोस्टर बनाया गया है ।
लेखक : महेंद्र ( सम्पादक, जौनपुर समाचार ) |