पुष्कर मिश्र, द्रोणीपुर -
हाँ, मैं भारत का अभिमान हूँ,
जीता जागता स्वाभिमान हूँ।
भारत मेरी जान है,
भारत मेरी शान है।।
मैं भारत की चट्टान हूँ,
कुछ लोगों के लिये
सिर्फ एक तान हूँ,
पर मैं समझता हूँ कि मैं
भारत के लिये उपजाऊ धान हूँ।।
न मैं ज्ञान की खान हूँ,
न मान,यश, प्रतिष्ठा, न दान हूँ।
पर दुनिया के लिये
एक विशिष्ट ‘भान’ हूँ।।
दुश्मनों के लिये मैं
तरकश से निकला बान हूँ।
कोई मुझे चबा ले जाये,
नहीं मैं ऐसा पान हूँ।।
न ठानो रण बेमन
बरसो तो मूसलाधार घन।
जिससे हो छाती चौड़ी तन मन
तभी सुखद सार्थक हर जन मन।।