ग्रामीण भारत के उन इलाकों में, जहाँ लैंगिक असमानता और गरीबी साथ-साथ मौजूद हैं, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBVs) ग्रामीण युवतियों की ज़िंदगी बदल रहे हैं। केजीबीवी ऐसे आवासीय विद्यालय हैं जिन्हें भारत सरकार ने वंचित समुदायों की बालिकाओं के लिए स्थापित किया है।
ये वही लड़कियाँ हैं जिन्होंने या तो स्कूल छोड़ दिया था या कभी स्कूल जाने का अवसर ही नहीं पाया था।केजीबीवी केवल शैक्षणिक शिक्षा ही नहीं देते, बल्कि वे इन लड़कियों के भीतर साहस, सपने और शिक्षा की वह शांत शक्ति जगाते हैं जो उनकी किस्मत बदल देती है।केजीबीवी में रहने वाली लड़कियाँ प्रायः अपने परिवार में पहली शिक्षार्थी होती हैं। उनके लिए स्कूल जाना कभी सपना भी नहीं था। गरीबी से जूझते परिवारों को लड़की की शिक्षा में कोई लाभ नहीं दिखता था, क्योंकि उनका मानना था कि “लड़की तो शादी के बाद घर संभालेगी।”
फिर भी, स्थानीय सरकारी अधिकारियों, स्वयंसेवी संगठनों और शिक्षकों के प्रयासों से इन लड़कियों की पहचान कर उन्हें केजीबीवी में दाखिला दिलाया जाता है। परिवार भी इस शर्त पर राज़ी हो जाता है क्योंकि यहाँ शिक्षा, भोजन और आवास सब कुछ निःशुल्क होता है, और पढ़ाई पूरी होने पर वजीफा भी मिलता है।दाखिले के बाद इन बालिकाओं के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन आता है। वे सपने देखना और उच्च शिक्षा व करियर के बारे में सोचना शुरू करती हैं। उत्तर प्रदेश के एक केजीबीवी की छात्राओं ने अपने नाम के साथ अपने भविष्य के पेशे जोड़ लिए — जैसे पुलिस इंस्पेक्टर मीना, फुटबॉलर स्मृति, डॉक्टर शांति, टीचर गौरी आदि।
केजीबीवी इसलिए भी खास हैं क्योंकि वे केवल शिक्षा तक पहुँच नहीं देते, बल्कि एक ऐसा पर्यावरण बनाते हैं जहाँ लड़कियाँ अपने शिक्षकों में आदर्श, सहपाठियों में दोस्त, और गतिविधियों में आत्मविश्वास पाती हैं।वे केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं सीखतीं, बल्कि सपने देखना और सवाल पूछना भी सीखती हैं उस समाज से जो अक्सर उन्हें चुप रहने को कहता है।
सशक्तिकरण (Empowerment) कोई एक दिन में नहीं होता, यह धीरे-धीरे घटने वाली प्रक्रिया है।
यह तब होता है जब कोई लड़की पहली बार कक्षा के सामने बोलती है, जब वह पहली बार अपने नाम को स्वयं लिखती है, या जब वह अपने माता-पिता से कहती है कि वह आगे पढ़ना चाहती है।
केजीबीवी ऐसे छोटे-छोटे सशक्तिकरण के पलों से भरे हुए हैं।जब भारत लैंगिक समानता की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब इन विद्यालयों की कहानियाँ यह याद दिलाती हैं कि जब हम अपनी बालिकाओं की शिक्षा में निवेश करते हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है।
ये लड़कियाँ केवल अपने लिए नहीं सीख रही हैं, बल्कि समाज के लिए एक राह दिखा रही हैं।
उनकी कहानियाँ सिर्फ संघर्ष की नहीं, बल्कि साहस, नेतृत्व और आशा की हैं — स्वयं का सर्वश्रेष्ठ रूप बनने की यात्रा की कहानिया

