कुंवर सिंह पीजी कॉलेज में आयोजित हुई परिचर्चा

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बलिया । उत्तर प्रदेश सरकार  द्वारा आयोजित मिशन शक्ति कार्यक्रम को लेकर कुंवर सिंह पीजी कॉलेज, बलिया में परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें पुलिस प्रशासन के पदाधिकारी,  कालेज के समस्त प्राध्यापक , सहयोगी स्टाफ , अभिभावक और छात्र- छात्राएं सम्मिलित हुए। डॉ फूल बदन सिंह ने दिया। उन्होंने मिशन शक्ति की प्रासंगिकता और परिचर्चा की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया । कार्यक्रम की शुरुआत में महिला थानाध्यक्ष कोतवाली ने विस्तृत रूप से शासन द्वारा प्रदान की गई कानूनी सहायता और व्यावहारिक समाधानों  के बारे में बताया । पुलिस पदाधिकारी रंजना जी ने बताया कि कैसे व्यवहारिक कानूनी प्रावधानों का लाभ निजी जीवन में उठाया जा सकता है । उन्होनें छात्राओं को सार्वजनिक जीवन के लिए  प्रोत्साहित भी किया । कॉलेज के प्राचार्य डॉ अशोक सिंह ने अपने व्याख्यान में बताया कि हमें सिर्फ कानूनी ही नहीं बल्कि समाज की मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है । उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और भारत में किए गए कानूनी प्रावधानों के बीच में तुलना भी की । युवा कल्याण अधिकारी ने कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता करते हुए बताया कि युवा कल्याण विभाग द्वारा किस प्रकार से युवतियों को भी सांस्कृतिक,  खेल और शैक्षिक कार्यों के लिए व्यावहारिक स्तर पर प्रोत्साहित किया जाता है । डॉ सत्य प्रकाश सिंह ने अनुभवी दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए बताया कि सबसे महत्वपूर्ण है हम निजी जीवन में कैसा व्यवहार करता हैं  और किसी भी मुद्दे के प्रति हमारा नजरिया क्या है । उन्होंने कहा कि हमें पीढ़ी अंतराल को देखते हुए एकतरफा मूल्यांकन नहीं करना चाहिए । डॉ अजय बिहारी पाठक ने  साहित्य में महिलाओं की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य के सभी काल विभिन्न रूपों में महिलाओं की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं।  वे कहते हैं कि भारतीय समाज अंतरविरोध का समाज रहा है और यही हमारी ताकत भी है । डॉ दिव्या मिश्रा ने बताया कि सबसे पहले हमें परिवार की भूमिका को समझने की जरूरत है क्योंकि शुरुआत से ही परिवार में स्त्री और पुरुष को लेकर विभाजन की रेखा पैदा कर दी जाती है । उन्होंने कहा कि हमें बदलते हुए परिवेश के साथ बदलने की जरूरत है ।

डॉ राजेंद्र पटेल ने कहा कि अगर हम व्यावहारिक स्तर पर देखें तो हमारे समाज में गैर बराबरी विद्यमान है और महिलाओं को लेकर सबसे जरूरी है कि हम सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करें। उन्होंने आदिवासी क्षेत्र में संपत्ति के अधिकार में आई  दुर्बलताओं का भी जिक्र किया।  डॉ रामअवतार उपाध्याय ने विस्तार से संवैधानिक प्रावधानों की चर्चा की और बताया कि हिंसा के विविध रूपों में आज कैसे साइबरक्राइम जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं । हमें नई तकनीकों के साथ सुरक्षा के उपायों को विकसित करने की जरूरत है । डॉ मंजीत सिंह ने कहा कि हमें परंपरा और आधुनिकता में समन्वय की जरूरत है । उन्होंने विविध साहित्यिक विमर्शों की  विस्तार से चर्चा की । डॉ सुरेंद्र ने भारतीय समाज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ सैंधव सभ्यता मातृसत्तात्मक थी वहीं ऐतिहासिक विकास के क्रम में धीरे-धीरे भारतीय समाज में परिवर्तन आता गया और महिलाओं की स्वाभाविक विकास की प्रवृत्ति पर रोक लगने लगी । विमल कुमार ने नारीवादी मुद्दों पर और मुखर होने की वकालत की । अनुज पांडे ने आदर्श और व्यवहार के द्वंद पर बात की और कहा कि हमें आमूलचूल परिवर्तन के बजाय सामंजस्य स्थापित करते हुए धीरे-धीरे बदलाव की ओर उन्मुख होना चाहिए । 

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कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ अशोक सिंह , डॉ संजय सिंह , डॉ शैलेश पांडेय ,डॉ सुजीत कुमार ,पुनील कुमार ,आनंद सिंह , योगेश शाही , अनिल गुप्ता , योगेंद्र कुमार, उमेश यादव तथा महाविद्यालय के समस्त कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।

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