काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में डॉ. फिरोज की नियुक्ति पर विवाद थम नहीं आ रहा है। डॉ. फिरोज छुट्टी के बाद गुरुवार को कैम्पस नहीं लौटे। वहीं, नियुक्ति के विरोध में धरना दे रहे छात्रों के समर्थन में हिंदू धर्मगुरु भी उतर आए हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर विवि प्रशासन से संवैधानिक कदम उठाने की अपील की है।
उधर, डॉ. फिरोज के लौटने पर बीएचयू प्रशासन कुछ भी बयान देने से इनकार कर रहा है। प्रशासन का कहना है कि फिरोज ने विभाग में 20 नवम्बर तक छुट्टी पर जाने की मौखिक सूचना दी है लेकिन रजिस्ट्रार को छुट्टी से संबंधित पत्र मिलने पर कुछ भी बोलने से कतरा रहा है। उधर, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रमुख शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जरूरत पड़ी तो वह संतों का आह्वान करेंगे।
डेढ़ एकड़ भूमि छोड़कर कहीं भी संस्कृत पढ़वाए बीएचयू
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति को 'अनुचित ठहराते हुए कहा कि धर्म विज्ञान संकाय में अनुभवात्मक विषयों का अध्ययन होता है। कहा, करीब तेरह सौ एकड़ से अधिक की इस बगिया में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय की डेढ़ एकड़ भूमि छोड़कर विश्वविद्यालय प्रशासन डॉ.फिरोज को संस्कृत पढ़ाने के लिए कहीं भी नियुक्त कर दें। किसी को आपत्ति नहीं है। कहा कि मैं मुसलमानों का विरोधी नहीं। सनातन धर्म का एक अनुवाई हूं। यह विरोध मुसलमान की नियुक्ति का नहीं बल्कि महामना की इच्छा का आदर है।
हमारा विरोध सनातनी संस्कृत को पढ़ाने को लेकर है : चक्रपाणि
विरोध में धरने पर बैठे शोध छात्र चक्रपाणि ओझा ने बताया हमारा विरोध सनातनी संस्कृत को पढ़ाने को लेकर है। उन्होंने कहा, हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं। कहा कि कुछ लोग बिना जाने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उन्हें सच्चाई मालूम नहीं है, पहले वे सच्चाई जानें।
धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक
देर शाम बीएचयू के कई विभागों के छात्रों ने फिरोज के समर्थन में भारत माता मंदिर काशी विद्यापीठ में सभा कर बनारस को बहुलतावादी और समावेशी प्रकृति का शहर बताया। कहा कि बात फिरोज की नहीं हैं बल्कि लोकतंत्र, भारत के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की है। भाषा का धर्म से कोई सम्बंध नहीं होता। विवि को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाना चाहिए और जिम्म्मेदारी लेनी चाहिए। विश्वविद्यालय में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक है। बीएचयू गेट पर फिरोज के समर्थन में धरने पर बैठे तीसरी आजादी संघर्ष समिति के लोगों से कुछ छात्रों की नोकझोंक हुई।
14 दिन बाद संकाय का खुला ताला
डॉ. फिरोज की बीएचयू के संस्कृत भाषा धर्म विभाग संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्ति के विरोध में चल रहे आंदोलन के चलते 14 दिन बाद विभाग का ताला खुला। सात नवम्बर को छात्रों ने विभाग में तालाबंदी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। मामला बढ़ता देख विवि प्रशासन ने गुरुवार की देर शाम ताला खुलवा दिया।
उधर, डॉ. फिरोज के लौटने पर बीएचयू प्रशासन कुछ भी बयान देने से इनकार कर रहा है। प्रशासन का कहना है कि फिरोज ने विभाग में 20 नवम्बर तक छुट्टी पर जाने की मौखिक सूचना दी है लेकिन रजिस्ट्रार को छुट्टी से संबंधित पत्र मिलने पर कुछ भी बोलने से कतरा रहा है। उधर, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रमुख शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जरूरत पड़ी तो वह संतों का आह्वान करेंगे।
डेढ़ एकड़ भूमि छोड़कर कहीं भी संस्कृत पढ़वाए बीएचयू
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति को 'अनुचित ठहराते हुए कहा कि धर्म विज्ञान संकाय में अनुभवात्मक विषयों का अध्ययन होता है। कहा, करीब तेरह सौ एकड़ से अधिक की इस बगिया में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय की डेढ़ एकड़ भूमि छोड़कर विश्वविद्यालय प्रशासन डॉ.फिरोज को संस्कृत पढ़ाने के लिए कहीं भी नियुक्त कर दें। किसी को आपत्ति नहीं है। कहा कि मैं मुसलमानों का विरोधी नहीं। सनातन धर्म का एक अनुवाई हूं। यह विरोध मुसलमान की नियुक्ति का नहीं बल्कि महामना की इच्छा का आदर है।
हमारा विरोध सनातनी संस्कृत को पढ़ाने को लेकर है : चक्रपाणि
विरोध में धरने पर बैठे शोध छात्र चक्रपाणि ओझा ने बताया हमारा विरोध सनातनी संस्कृत को पढ़ाने को लेकर है। उन्होंने कहा, हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं। कहा कि कुछ लोग बिना जाने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उन्हें सच्चाई मालूम नहीं है, पहले वे सच्चाई जानें।
धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक
देर शाम बीएचयू के कई विभागों के छात्रों ने फिरोज के समर्थन में भारत माता मंदिर काशी विद्यापीठ में सभा कर बनारस को बहुलतावादी और समावेशी प्रकृति का शहर बताया। कहा कि बात फिरोज की नहीं हैं बल्कि लोकतंत्र, भारत के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की है। भाषा का धर्म से कोई सम्बंध नहीं होता। विवि को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाना चाहिए और जिम्म्मेदारी लेनी चाहिए। विश्वविद्यालय में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक है। बीएचयू गेट पर फिरोज के समर्थन में धरने पर बैठे तीसरी आजादी संघर्ष समिति के लोगों से कुछ छात्रों की नोकझोंक हुई।
14 दिन बाद संकाय का खुला ताला
डॉ. फिरोज की बीएचयू के संस्कृत भाषा धर्म विभाग संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्ति के विरोध में चल रहे आंदोलन के चलते 14 दिन बाद विभाग का ताला खुला। सात नवम्बर को छात्रों ने विभाग में तालाबंदी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। मामला बढ़ता देख विवि प्रशासन ने गुरुवार की देर शाम ताला खुलवा दिया।