संयुक्त राष्ट्र में भारत - पाकिस्तान की तूँ तूँ - मैं मैं, पढ़िए संदीप मौर्य का लेख

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सच में भारत-पाकिस्तान का कुछ नहीं हो सकता, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली में जो कुछ हुआ उसे देख कर यही लगता है। किसी भी वैश्विक मंच पर कूटनीतिक फैसले लेने में दोनो ही देश विफल रहे हैं  ।संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली में कई वैश्विक मुद्दे को दोनों भूना सकते थे पर ऐसा करने में वो चूक गए। 

भारत के पास पाकिस्तान को लेकर सिर्फ आतंकवाद की बात करता है ठीक इसके उलट पाकिस्तान को हर हाल में कश्मीर चाहिए । इससे साफ़ ज़ाहिर है कि दोनों वैश्विक मंच पर भी एक दूसरे की टांग खींचने के अलावा कुछ भी सीख नही कर पा रहे हैं । भारत के पास वैश्विक मुद्दों में अपराधी भगोड़ों के प्रत्यपर्ण का मुद्दा, शिक्षा के स्तर, ग़रीबी, शरणार्थियों के बसाने की समस्या, साइबर हमले, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, आयात शुल्क में कटौती, पर्यटन, विकास, तकनीक का सहयोग, परमाणु हथियार पे पांबन्दी,पर्यावरण के गंभीर मुद्दे ,निवेशकों को आमंत्रण आदि कई वैश्विक मुद्दे भारत भुना सकता था पर हर बार पाकिस्तान के चक्कर में पीछे रह जाता है। ऐसा ही हाल पड़ोसी देश पाकिस्तान का है जहां चुनाव भारत के खिलाफ जितना अधिक जहर उगलेगा उतना ही उसकी जीत पक्की है हालांकि कुछ इस तरह का माहौल भारत में भी रहा है । पाकिस्तान के पास उसके आंतरिक मसले ख़ुद पेचीदा है जिससे हल करने पर जोर देना चाहिए।बलूचिस्तान, गिलगित ,पाक अधिकृत कश्मीर (POK) अल्पसंख्यक के लोगों की समस्या का हल ढूढ़ना चाहिए पर यह भी जगजाहिर है कि विश्व के तमाम देश भारत की तरक्की रोकने के लिए पाकिस्तान को जरिया बना लिया है । पाकिस्तान को भी मुफ्तखोरी का खून मुंह लग गया है । भारत में आतंकवाद फैलाने ,भारत को उलझनों में डालने के लिए पैसे मिलते हैं यही उसकी कमाई का जरिया है । अगर यह भी कहा जाए तो गलत न होगा कि विश्व के कुछ देश जो भारत पाकिस्तान को उलझा कर अपने कूटनीति फैसले में पूरी तरह सफल हो गए हैं।क्योंकि होता वही की कोई भी मंच हो दोनो के पास एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के सिवाय कुछ नहीं बचा है। भारत पाकिस्तान को चाहिए कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर आपसी तालमेल बिठाए ।

अगर ऐसा करने से दोनो दूर भागते हैं तो समझ लीजिए वो सच्चाई से भाग रहे हैं और ऐसे में इन दोनों का कुछ हो नही सकता।जरा सा गौर कीजियेगा तो पायेंगे भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया में दोनो अपने नेताओं की नोकझोंक दिखाते रहे बाकी तमाम देशो के प्रतिनिधि के क्या मुद्दे रहे उनसे क्या तुलना रही यह किसी ने भी नहीं बताया। एक बात स्पष्ट तौर पर देखना चाहियेगा कि जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने परमाणु हमले की धमकी संयुक्त राष्ट्र में दे डाली और विश्व में शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई पर परमाणु हमले की बात पर विश्व समुदाय की कोई प्रतिक्रिया सामने नही आई । इससे साफ जाहिर है भारत पाकिस्तान से उनको कोई लेना देना नही है और जो वो चाहते हैं वह दोनो बिना कहे आपस में लड़ रहे हैं । पाकिस्तान का कूटनीति अल्लाह भरोसे तो भारत का राम भरोसे यही कहा जा सकता है दोनो ने यही रवैया अपनाए रखा तो यकीन जानिए कुछ नहीं हो सकता इनका ।

स्वतंत्र लेख : संदीप मौर्य ( छात्र बीएचयू )







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