काफी इंतजार के बाद परीक्षा की घड़ी शुरू हो चुकी है, विश्व के जाने माने और भारत के प्राचीनतम विश्वविद्यालय बीएचयू में प्रवेश के लिए हर साल होने वाली इम्तेहान की रणभेरी बज उठी है । बीएचयू के इंट्रेंस एग्जाम के लिए छात्र साल भर पहले से तैयारी करते हैं और लाखों इसमें भाग लेते हैं। इस साल परीक्षा के पद्धति ( पैटर्न ) में काफी बदलाव किया गया है, 'ऑनलाइन टेस्ट' के साथ कई विषयों की 'कंबाइंड परीक्षा' कराई जा रही है, हालाँकि कंबाइंड टेस्ट के सिलबेस से काफी छात्र अनभिज्ञ थे ।
परीक्षा हाल में प्रश्नपत्र से सामना होने के बाद उनका सिर चकरा गया । बातचीत में छात्रों ने बताया कि "गणित और रीजनिंग के सवाल काफी ज्यादा और कठिन थे, भूगोल इतिहास, राजनीति से सवाल कम पूछे गये थे जबकि बीए में हम सभी को वही पढ़ना है, पेपर का सेटअप किस तरह से किया गया था समझ नहीं आया कुछ सवाल छठवीं दर्जा के छात्र भी हल कर सकते थे तो कुछ आईएएस के पीटी वाले सवाल थे ।"
कंबाइंड एग्जाम पर सवाल उठाते हुए छात्र अखिलेश ने बताया कि "बीएचयू अपनी सहूलियत के लिए छात्रों के सामने मुश्किलें पैदा कर रहा है, कंबाइंड प्रश्नपत्र से काफी छात्रों को समस्या हुई है, अगर गणित के सवाल ही हमें हल करना होता तो हम मैथ से अप्लाई किए होते ।" जिस तरह छात्रों में माथापच्ची है उसे देखकर लग रहा है कि इस बार मेरिट काफी नीचे रहने वाली है लेकिन यह सोचने का एक विषय जरूर है कि कंबाइंड पेपर का आधार क्या है ?
परीक्षा हाल में प्रश्नपत्र से सामना होने के बाद उनका सिर चकरा गया । बातचीत में छात्रों ने बताया कि "गणित और रीजनिंग के सवाल काफी ज्यादा और कठिन थे, भूगोल इतिहास, राजनीति से सवाल कम पूछे गये थे जबकि बीए में हम सभी को वही पढ़ना है, पेपर का सेटअप किस तरह से किया गया था समझ नहीं आया कुछ सवाल छठवीं दर्जा के छात्र भी हल कर सकते थे तो कुछ आईएएस के पीटी वाले सवाल थे ।"
कंबाइंड एग्जाम पर सवाल उठाते हुए छात्र अखिलेश ने बताया कि "बीएचयू अपनी सहूलियत के लिए छात्रों के सामने मुश्किलें पैदा कर रहा है, कंबाइंड प्रश्नपत्र से काफी छात्रों को समस्या हुई है, अगर गणित के सवाल ही हमें हल करना होता तो हम मैथ से अप्लाई किए होते ।" जिस तरह छात्रों में माथापच्ची है उसे देखकर लग रहा है कि इस बार मेरिट काफी नीचे रहने वाली है लेकिन यह सोचने का एक विषय जरूर है कि कंबाइंड पेपर का आधार क्या है ?