केकरा के कहै छै सुराज बोधन भाई
"आप सोने की सड़क बना दो, क्या हम वही खाएंगे?" यह दर्द है राजधानी दिल्ली के विकृत विस्तार की जद में आए गाजियाबाद के एक गाँव के किसानों का । ब्रिटिशराज को याद दिलानेवाली भूमिअधिग्रहण नीति को जबरदस्ती देश
पर लादने वाली सत्ता की छांव तले 2600 एकड़ जमीन कारपोरेट ने जबरदस्ती हड़प ली । 2016 से धरना प्रदर्शन द्वारा संघर्षरत किसान को बीजेपी विधायक सांसद सब ठग वोट लेते रहे और सिस्टम से दमन होता रहा। गांव का
किसान समुदाय हिम्मत हार चुका है । न जमीन का मुआवजा मिला, न खेती की छूट। बुलडोजर से कुएं,कुदाल जमीन में बुल्डोज कर दिए गए। किसान कहते हैं - मीडिया दलाल है।हमारा दर्द पूछने और दिखाने कभी नहीं आता बल्कि एमपी का रुझान बनाने आता है। यह हाल देश के अनेक हिस्सों के किसान वर्ग का है..!
क्रमशः जारी..